दिल्ली में जब दामिनी कांड हुआ था, लाखों लोग सड़कों पर थे, तो मंत्री महोदय और मुख्यमंत्री महोदय ने लोगों से मिलने तक की जहमत नहीं उठाई, बल्कि अपने वर्दी वाले गुंडों को भेज कर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों कि पिटाई करवादी। एक ऐसे देश में जब कोई मुख्यमंत्री, लोगों के लिए सड़कों पर उतरता है तो इसे अराजकता कहना लाज़मी है।
कुछ लोग कहते हैं अरविन्द ये सब वोट के लिए कर रहा है। मैं भी मानता हूँ हो सकता है वो ये सब वोट के लिए कर रहा हो। परन्तु जनता हो ये बताने के लिए कर रहा है कि उनका वोट कितना महत्वपूर्ण है।
हाँ ये बात सही है कि अरविन्द नवसिखिये को वोट कि राजनीति भी करनी नहीं आती। अगर आती होती तो सड़क में अपनी जान से खेलने कि जरूरत क्या है। कही भी दंगे करवादो, गोली बारी करवादो, हज़ार-दो हज़ार लोगों कि जान ही तो जायेगी और ज्यादा क्या होगा। फिर अपना १० -१५ साल तक सी. एम., पी. एम. बने रहो किसी कि अवकात क्या कि आपकी कुर्सी कि तरफ कोई देख भी ले। अब देश के लिए इन मासूमों कि कुर्वानी तो बनती है। जैसा कि अभी तक होता आ रहा है, सिक्ख दंगों से ले कर, मुम्बई, गुजरात और अभी ताज़ा मुजफ्फरनगर के दंगों तक। जब देश में अभीतक ऐसी ही सभ्य राजनीति चली आरही है, तो सड़कों पर ख़ाक छानना, ठंडी रातों में सड़क पर सोना वो भी एक मुख्यमंत्री का तो अराजकता ही हुई ना !
Listen what his part cheif spokeperson says about the Dharna
source - Navbharat times and youtube
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