Monday, January 13, 2014

शीला दीक्षित पर दर्ज हो सकता है मुकदमा



Sheila Dixit
भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की परेशानियां बढ़ सकती हैं। पानी के मीटरों की खरीद में हुए कथित घपले को लेकर सीबीआई दिल्ली जल बोर्ड पर जल्द मुकदमा दर्ज करने वाली है। इन मीटरों की खरीददारी में दो कंपनियों को करोड़ों रुपए का बेजा लाभ पहुंचाने का आरोप है। जल बोर्ड ने ये मीटर वर्ष 2011 में खरीदने की कवायद शुरू की थी, उस वक्त शीला दीक्षित जल बोर्ड की अध्यक्ष थीं।

सेंट्रल विजिलेंस कमिशन (सीवीसी) के आदेश पर सीबीआई ने जल बोर्ड में मीटरों की खरीद और राजधानी के तीन इलाकों में पानी की सप्लाई का ठेका तीन कंपनियों को देने के मामले की जांच पूरी कर ली है। इस बात की संभावना बन रही है कि इस सप्ताह सीबीआई बोर्ड के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर सकती है। शीला दीक्षित उस वक्त जल बोर्ड की अध्यक्ष थीं, जब ये कथित गड़बड़ी हुई।

पानी के मीटरों में घपले का आरोप वर्ष 2012 में लगा था। तब एक बड़ी एनजीओ ने सीवीसी को दिए सबूतों में आरोप लगाया था कि पानी के मीटरों की खरीद में करीब डेढ़ सौ करोड़ का घपला हुआ है। मामले की गंभीरता को देखते हुए सीवीसी ने इसे सीबीआई के सुपुर्द कर दिया था। सीबीआई इस मामले की जांच पूरी कर चुकी है। वैसे शीला दीक्षित अपने कार्यकाल में हुए इस प्रकार के घपले से लगातार इनकार करती रही हैं। उन्होंने इन आरोपों को विपक्ष की चाल बताते हुए किसी भी प्रकार की जांच से इनकार कर दिया था।

सीवीसी के द्वारा सीबीआई तक जो आरोप पहुंचे हैं, उनके अनुसार जल बोर्ड ने 30 दिसंबर 2011 में ऑटोमैटिक मीटर रीडिंग करने वाले तीन लाख मीटर (एएमआर) और एक लाख मीटर (नॉन एएमआर) खरीदने के लिए टेंडर जारी किए। इसमें केवल दो कंपनियों ने ठेके लिए। इनमें से एक कंपनी को 152 करोड़ रुपए और दूसरी कंपनी को 101 करोड़ रुपए का ठेका दिया गया। इसमें वाटर मीटर लगाने के साथ सात साल तक उनकी देखरेख का भी काम सौंपा गया।

सूत्र बताते हैं कि जल बोर्ड नॉन एएमआर प्रति मीटर का भुगतान एक कंपनी को 1457 रुपए और दूसरी कंपनी को 1300 रुपए की दर से किया। लेकिन एनजीओ ने बाजार में जब इस मीटर को खरीदा तो उन्हें 1050 रुपए में मिला, जबकि एक डीलर के रूप में उसे 775 रुपए का कोटेशन मिला। जांच के अनुसार एक कंपनी ने मीटर लगाने के लिए 225 रुपए प्रति मीटर खर्च की मांग की थी, लेकिन जल बोर्ड ने उसे 800 रुपए प्रति मीटर और दूसरी कंपनी को 1905 रुपए का भुगतान किया। इतना ही नहीं, सॉफ्टवेयर के लिए एक कंपनी ने एक करोड़ रुपए और दूसरी कंपनी ने 16 लाख रुपए की मांग की। बोर्ड ने इन दोनों कंपनियों को उनकी मांग के मुताबिक भुगतान कर दिया, लेकिन दोनों कंपनियों की कीमतों में भारी अंतर पर ध्यान नहीं दिया। आरोप है कि कुल मिलाकर जल बोर्ड ने इन कंपिनयों को करीब चार लाख मीटरों की खरीद में 150 करोड़ रुपए ज्यादा दे दिए।

सूत्र बताते हैं कि सीबीआई पिछले चार महीने में दिल्ली जल बोर्ड में घोटाले की शिकायत पर प्रारंभिक जांच पूरी कर चुकी है। संभावना है कि आज सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारी दिल्ली जल बोर्ड में हुए कथित घोटालों की प्रारंभिक जांच के दौरान जुटाए गए सुबूतों की समीक्षा करेंगे। जिसके बाद जल बोर्ड के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने का फैसला हो सकता है। इनमें एक मामला पानी की मीटर की खरीद और तीन मामले नांगलोई, मालवीय नगर और वसंत विहार में पानी सप्लाई को पीपीपी मॉडल पर निजी कंपनियों को सौंपने का है। गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी पिछले कुछ सालों से लगातार जल बोर्ड में कई घपलों का आरोप लगा चुकी है।

Source - Navbharat times

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